'अक्षय तृतीया' हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन (तृतीया) को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को 'आखा तीज' के रूप में भी जाना जाता है। यह पूरे भारत भर में धूम-धाम से मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया भगवान परशुराम के जन्मदिन का शुभ दिन है। परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। इसी दिन ब्रह्रमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी हुआ था, इसीलिए इसको अक्षय तिथि कहते है।
अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाता है और लक्ष्मी-नारायण के दर्शन किये जाते है। उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि को खोले जाते है। किंवदंती के अनुसार इसी तिथि को महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था। द्वापर युग का समापन भी इसी तिथि को हुआ था।
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी पुण्य कर्म किये जाते हैं, उनका फल अक्षय होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान, हवन, पूजन या साधना अक्षय (संपूर्ण) होता है। अक्षय तृतीया की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है, इस तिथि को बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र-आभूषण खरीदना, वाहन एवं घर आदि खरीदा जा सकता है।
अक्षय तृतीया भगवान परशुराम के जन्मदिन का शुभ दिन है। परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। इसी दिन ब्रह्रमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी हुआ था, इसीलिए इसको अक्षय तिथि कहते है।
अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाता है और लक्ष्मी-नारायण के दर्शन किये जाते है। उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि को खोले जाते है। किंवदंती के अनुसार इसी तिथि को महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था। द्वापर युग का समापन भी इसी तिथि को हुआ था।
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी पुण्य कर्म किये जाते हैं, उनका फल अक्षय होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान, हवन, पूजन या साधना अक्षय (संपूर्ण) होता है। अक्षय तृतीया की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है, इस तिथि को बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र-आभूषण खरीदना, वाहन एवं घर आदि खरीदा जा सकता है।
अक्षय तृतीया | Short Essay on 'Akshaya Tritiya' in Hindi | 'Akshaya Tritiya' par Nibandh
Reviewed by Unknown
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October 20, 2017
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